Fluids and Electrolyte

एक एथलीट के अच्छे परफॉर्मेंस के लिए जरूरी है कि वे वर्कआउट के पहले, वर्कआउट के समय और बाद में fluids and electrolyte का विशेष धयान रखे। इसमे हुई जरा सी चूक आपके परफॉर्मेंस को बिगाड़ सकती है। गर्मी के दिनों में तो इस पर विशेष ध्यान देना आवश्यक है।

Fluids and electrolyte क्यों जरूरी है?

इसके लिए हमे कुछ बातें समझना जरूरी हैं। हमारे ब्लड में 93% पानी रहता है। एक आम आदमी के टोटल बॉडी वेट का 57% उसके शरीर मे पानी का रहता है। जबकि एक एथलीट में बॉडी वेट का 70% वजन पानी से रहता है
The higher the musculature and lower the body fat, the higher the contribution of body water to total body mass .
जब आप हार्ड एक्सरसाइज करते है तो आपकी मसल्स आपके रेस्टिंग टाइम की तुलना में 20 गुना ज्यादा हीट पैदा करती है। इस गर्मी को नष्ट करने के लिए हमारा शरीर पसीना निकलता है। जब यह पसीना वाष्प बन कर उड़ता (evaporates) होता है तो इससे हमारी स्किन ठंडी होती है और फिर इससे ब्लड और आंतरिक शरीर ठंडा होता है। इसलिए पसीना निकलना बहुत अच्छी बात है।
परन्तु जब शरीर का पानी पसीने के रूप में निकलता है तो इसके कारण से ब्लड में से पानी की मात्रा कम होती है और ब्लड के fluid का कंसंट्रेशन लेवल बहुत ज्यादा हो जाता है और इस समय ब्लड में सोडियम की मात्रा भी बहुत अधिक हो जाती है। और इस समय किडनी भी पानी को शरीर मे रोकने का प्रयास करती है और इस कारण से हमारी पेशाब की मात्रा भी कम होती है और उसका रंग भी डार्क हो जाता है (इसकी पूरी साइंस को इस छोटे से ब्लॉग में समझाने मुश्किल है)और इसी समय हमें जोरों से प्यास भी लगने लगती है। (ये स्तिथि डिहाइड्रेशन की स्तिथि हो जाती है। ) यह एक एथलीट के लिए खतरनाक स्तिथि है। (जिस पर आगें लिखूँगा)। इस अवस्था मे परफॉर्मेंस बिगड़ता है और क्रेम्पस भी आ सकते है। यह स्थिति निर्मित न हो इसलिए रेगुलर पानी और इलेक्ट्रॉल लेते रहना चाहिए।
यहाँ यह बात भी ध्यान में रखना जरूरी है कि पसीने में केवल पानी अकेला नही रहता उसके साथ साथ इलेक्ट्रिकली charged पार्टिकल्स (electrolytes) भी रहते है।

हमें कितना fluids लेना चाहिये?

पसीने निकलने की दर हर व्यक्ति की अलग अलग रहती है और हर खेल में अलग अलग रहती है। हमारे शरीर से जितना पसीना निकल रहा है उतना fluids हमे लेना चाहिए। इसके लिए एक sweat test करना चाहिए।
इसमे आप अपने वर्कआउट के पहले न्यूड हो कर अपना वजन ले लें। फिर एक घंटे वर्कआउट करें। वर्कआउट के समय पानी न लें। वर्कआउट के बाद फिर न्यूड हो कर अपना वेट लें। जितना वेट आपका कम हुआ है उसके 80 से 100% आपको fluids लेना चाहिए। अगर आपका वेट 500ग्राम कम हुआ है तो आपको 400 से 500 ml fluids अवश्य लेना चाहिए।
अब अगर आपने स्वेट टेस्ट कर लिया है और आपका वजन 500 ग्राम कम हुआ है तो आपको 500ml fluids एक बार मे नही लेना है। आप इसको एक निश्चित अन्तराल से लें। मैं हर km पर लेता हूँ। आप भी चाहे तो ऐसा कुछ कर सकते है।

क्या हमें वर्कआउट प्रारम्भ करने के पहले fluids लेना चाहिए?

बिल्कुल लेना चाहिए। अगर आप डेढ़ से दो घंटे पहले तीन से चार गिलास पानी ले सके तो बहुत अच्छा रहेगा। इससे वर्कआउट प्रारम्भ करते समय तक जितनी यूरिन होना है वो हो जाएगी और वर्कआउट शुरू करते समय आपकी बॉडी fully hydrated रहेगी। अगर आप वर्कआउट के पहले नमकीन चिप्स या सूप लेते है तो उसके माध्यम से आप अप्रत्यक्ष रूप से सोडियम लेते है। सोडियम पानी को रोकने का भी काम करता है। इससे आप डी हाइड्रेट जल्दी नही होंगे।

वर्कआउट के बाद fluids लेना चाहिए क्या?

बिल्कुल। हार्ड वर्कआउट के बाद आधे घंटे में 500ml पानी ले लेना चाहिए। नारियल पानी, नीबू पानी या नमकीन चीजों का सेवन करना चाहिए। पानी तो दिन भर भी थोड़ी थोड़ी देर तक जब तक लेते रहे जब तक आपकी यूरिन pale yellow या सफेद रंग की न हो। साथ मे यूरिन की मात्रा भी अच्छी हो।

कम fluids लेने से खिलाड़ी के परफॉर्मेंस पर क्या फर्क पड़ेगा?

जैसा कि मैंने लिखा है कि पसीना निकलने से ब्लड में से पानी की मात्रा कम होती जाती है और ब्लड कंसन्ट्रेट होता जाता है। इससे हार्ट को ज्यादा ताकत लगाना पड़ती है और इस कारण से हार्ट रेट बढ़ जाती है। शरीर को ज्यादा ग्लाइकोजन जलाना पड़ता है। दिमाग की एकाग्रता क्षमता प्रभावित होती है। और शरीर का तापमान तेजी से बढ़ने लगता है। इससे आपको आपको वर्कआउट में मजा भी नही आएगा और आपको बहुत ताकत लगाना पड़ेगी। धीरे धीरे आपका परफॉर्मेंस बिगड़ता जाएगा। क्रेम्पस आ सकते हैं।

अगर प्यास लगने पर ही फ्लूइड्स लू तो क्या दिक्कत है?

वर्कआउट के समय जब प्यास लगती है तब तक आप डेंजर ज़ोन में पहुँच चुके रहते हैं। उस समय तक आप आपके बॉडी वेट का 1% फ्लूइड्स लॉस कर चुके होते है। 68kg वजन के रनर के लिए यह 750 ml के बराबर होता है।
“This 1 percent loss corresponds with the need of your heart to beat an additional three to five times per minute.A 2 percent loss fits the definition of dehydrated. A 3 percent loss can significantly impair aerobic performance. Keep in mind that you will voluntarily replace only two thirds of the water you lose in sweat.”
– Casa et al. 2000

हमारी बॉडी प्रॉपर हाइड्रेटेड है कि नही इसको कैसे जानेंगे?

आप अपनी यूरिन के रंग से समझ सकते है कि आप हाइड्रेटेड है या dehydrated।
अगर आपकी पेशाब का रंग एकदम सफेद है तो आप बहुत अच्छे से हाइड्रेटेड है। अगर pale yellow है मतलब आप normally हाइड्रेटेड है। डार्क येलो है मतलब आप डी हाइड्रेटेड है। कई बार हम विटामिन्स टेबलेट्स लेते है उसके कारण हमारी पेशाब का रंग येलो ही आता है। उस समय हमें अपनी पेशाब की मात्रा देखना चाहिए। अगर कम है तो आप डी हाइड्रेटेड है।

वातावरण की ह्यूमिडिटी और तापमान से पसीने की दर प्रभावित होती है क्या?

वातावरण में अगर ह्यूमिडिटी ज्यादा है या तो पसीना तो आएगा पर उसके evaporation की दर कम हो जाएगी। इससे बॉडी ठंडी नही होगी और बॉडी का तापमान बढेगा। ऐसी स्थिति में फ्लूइड्स इन्टेक बड़ा देना चाहिए और बॉडी ज्यादा गर्म होने पर शरीर पर पानी भी डाल लेना चाहिए।
अधिक तापमान में सामान्य तापमान की तुलना में पसीना ज्यादा निकलेगा।

हमारे कपड़ों से पसीने के evaporation पर कुछ फर्क पड़ता है क्या?

बिल्कुल। अगर आप ड्राई फिट क्लोथिंग पहनेंगे तो पसीने का evaporation ज्यादा प्रभावित नही होता। इसके विपरीत अगर आप कॉटन के कपड़े आदि पहनेगे तो evaporation रेट कम होगा और हमारा शरीर ज्यादा गर्म होगा।

जिन एथलीट का बॉडी सरफेस एरिया ज्यादा होता है उनकी बॉडी सरफेस से पसीना ज्यादा evaporate होता है। पर गर्मी के दिनों में बॉडी भी जल्दी गर्म होती है।

केवल पानी पीने से हम पसीने द्वारा हुए fluids लॉस की भरपाई कर सकते है?

नहीं । जैसा कि मैंने लिखा है कि पसीने में केवल पानी अकेला नही रहता उसके साथ साथ इलेक्ट्रिकली charged पार्टिकल्स (electrolytes) भी रहते है। मतलब हमारे पसीने द्वारा हम सोडियम, पोटेशियम आदि मिनरल्स का लॉस भी करते है। अब केवल पानी पीने से शरीर मे मौजूद मिनरल्स और dilutes हो जायेगे और इससे खासतौर पर शरीर मे मौजूद सोडियम का imbalance हो जाता है। सोडियम की मात्रा बहुत कम हो जाती है। इस स्तिथि को Hyponatremia कहा जाता है। इसमे खिलाड़ी की मौत भी हो सकती है। ये स्थिति 4 घंटे से अधिक हार्ड वर्कआउट में जब होती है जब केवल पानी का इन्टेक लिया जाता है। यह स्थिति न बने इसलिए पानी के साथ साथ electrolytes लेते रहना चाहिए। ताकि शरीर मे electrolytes imbalance न हो।

इलेक्ट्रोलाइट बैलेंस के लिए क्या पीना/खाना चाहिए?

वर्कआउट के समय इलेक्ट्रोलाइट बैलेंस के लिए कुछ लोग साल्ट कैप्सूल्स लेते है। कुछ gels आजकल ऐसे आते है जिसमे इलेक्ट्रोलाइट मिले हुए रहते है। कुछ लोग रेडीमेड ड्रिंक्स जैसे enerzal, gatorade आदि लेते है। ये आपको देखना पड़ेगा कि आप किस में कम्फ़र्टेबल है। पर यह जरूर देख ले कि जो भी ड्रिंक आप ले रहे है उसमें मिनरल्स (विशेष कर सोडियम) के साथ साथ कार्बोहाइड्रेट भी होना चाहिए।

अंत मे मै केवल यह कहूँगा कि हमको रोज वर्कआउट करते समय पानी/इलेक्ट्रोलाइट लेने की प्रैक्टिस करनी चाहिए । क्योकि अगर इसकी आपने आदत नही डाली तो पूरी संभावना है कि रेस डे के दिन आप डी हाइड्रेट होंगे और आपका परफॉर्मेंस खराब होगा। मैं अगर 8km की रिकवरी रन भी करता हूँ तो bottle belt पहन कर करता हूँ और वैसे ही पानी / साल्ट कैप्सूल लेता हूँ जैसे फुल मैराथन में लेता हूँ।

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