Warm-up and Cool down

अधिकतर रनर्स केवल दौड़ना चाहते है। वे warm-up और cool down को समय की बर्बादी मानते है। वे सोचते है कि पहले और अंतिम km को स्लो रन करने से वार्मअप और कूल डाउन हो जाता है। जबकि सच मे ऐसा नही है। आपको 8 से 10 मिनट्स वार्मअप के लिए और 10 से 15 मिनट्स कूल डाउन के लिए समय अलग से देना चाहिए। जो रनर्स ये नही करते है उन्हें न केवल इंज्यूरी होने की पूरी पूरी संभावना रहती है बल्कि होती भी है।

सही वार्मअप का तरीका क्या है? और इससे क्या फायदा होता है?

जब आप रनिंग के लिए ग्राउंड पर पहुंचे तो सबसे पहले आप कम से कम 500 मीटर वॉक करें। वॉक में धीरे धीरे अपनी स्पीड बढ़ाये। इसके बाद अपने सभी जॉइंट्स को रोटेट कर लें। clockwise और anti clockwise। इसके बाद आपको डायनमिक स्ट्रेचिंग (इसके बारे में आंगें एक्सप्लेन करूँगा) करनी रहेगी

Warm-up करने से मसल्स गर्म होती है और हमारे शरीर का टेम्प्रेचर थोड़ा बड़ जाता है मेटाबोलिज्म बड़ जाता है इससे मसल्स में एनर्जी सप्लाई बड़ जाता है। मसल्स का तापमान बढ़ने से उनका रेसिस्टेंस (Viscosity) थोड़ा कम होता है इससे उनकी contraction और relaxation तेज हो जाता है जो कि हमारा परफॉर्मेंस बढ़ाता है।

वार्मअप से हार्ट का फंक्शन भी बढ़ता है। इससे आपका कार्डियक आउटपुट बढ़ता है साथ मे RMV (respiratory minute volume) बढ़ता है जो को आपका VO2 max बढ़ाता है।
वार्मअप से आपके जॉइंट्स मजबूत होते है। नई रिसर्च के अनुसार :-
“Even short-term exercise like warming up can help build joint cartilage. The thicker layer of cartilage increase the load bearing suface and distributes loads more evenly.”
इन सब कारणों से आपको injuries की संभावना बहुत कम हो जाती है।

स्ट्रेचिंग क्या होती है ?

स्ट्रेचिंग एक एक्सरसाइज ही है जिसमे किसी एक मसल्स या मसल्स के ग्रुप को या टेंडन को जानबूझकर कर खिंचा या स्ट्रेटचेड़ किया जाता है ताकि उस मसल्स या मसल्स ग्रुप की इलास्टिसिटी बड़े और मसल्स कम्फ़र्टेबल पोजीशन में आ सकें।

स्ट्रेचिंग क्यो करना चाहिए? स्ट्रेचिंग के क्या फायदे हैं?

जब हम वर्कआउट प्रारम्भ करते है उस समय डायनमिक स्ट्रेचिंग करने से हमारी मसल्स में ब्लड फ्लो बढ़ता है और वे वर्कआउट के लिए तैयार हो जाती हैं।
जब हम वर्कआउट खत्म करते है उस समय जिन मसल्स को हमने use किया है वे टाइट हो जाती हैं तब हम स्थैतिक स्ट्रेचिंग द्वारा हम उनको रिलैक्स करते है या कहें कि उन्हें वापिस उनकी इलास्टिसिटी प्रदान करते हैं
स्ट्रेचिंग आपकी मसल्स की फ्लेक्सिबिलिटी बढ़ाती है। यह आपके जॉइंट्स की range of motion बढ़ाती हैं। आपके परफॉर्मेंस को सुधारती है। मसल्स में ब्लड फ्लो बढ़ने से hr कम होती है, आपका रिकवरी टाइम कम लगता है। मसल्स soreness (Delayed onset muscles soreness or DOMS) कम होती है। मसल्स अगर टाइट हुई तो आपका रनिंग फॉर्म भी बिगड़ेगा। और भी कई फायदे है।

स्ट्रेचिंग कितने प्रकार की होती है?

स्ट्रेचिंग के कई प्रकार की होती है। आपको केवल दो प्रकार मालूम होना चाहिए
डायनामिक और स्टेटिक
स्टेटिक स्ट्रेचिंग वो स्ट्रेचिंग है जिसमे आप एक कम्फ़र्टेबल पोजीशन में मसल्स को स्ट्रैच के दौरान होल्ड करके रखते हो। यह स्ट्रेचिंग वर्कआउट के बाद करना चाहिए।
डायनमिक स्ट्रेचिंग मसल्स या मसल्स के समूह का एक्टिव मूवमेंट है जिसके द्वारा हम मसल्स को स्ट्रेच करते हैं। इसमें हम मसल्स को होल्ड करके नही रखते है जैसा कि स्टेटिक स्ट्रेचिंग में रखते है। ये वर्कआउट प्रारंभ करने के पहले करना चाहिए।

वर्कआउट के पहले और बाद में क्या एक ही प्रकार की स्ट्रेचिंग करना चाहिए?

नही । जैसा ऊपर लिखा है पहले डायनामिक और अंत मे स्टेटिक।
Florida State University की 2010 की रिसर्च के अनुसार अगर आप पहले स्टेटिक स्ट्रेचिंग करते हैं तो आपका परफॉर्मेंस बिगड़ जाता है।
In the research, trained distance runners became about 5% less efficient and covered 3% less distance in a time trial after doing static stretching before the run.
Aforementioned research stated that there is no evidence that dynamic stretching before a run inhibits performance.

रनर्स के लिए किन प्रमुख मसल्स की स्ट्रेचिंग अत्यावश्यक है?

जो रनिंग के समय अधिक उपयोग में आती है उन्हें स्ट्रेच करना बहुत जरूरी है। ये हैं:- शिन, कॉफस, हैमस्ट्रिंग, quads, ग्लुट्स, ITB, बैक, ग्रोइन आदि।

स्ट्रेचिंग में और क्या बातें ध्यान में रखना जरूरी हैं

अगर आपको कोई इंज्यूरी है तो आप डॉ से पूछ कर ही स्ट्रेचिंग करें।
Don’t bounce..कुछ सालों पहले तक बैलिस्टिक स्ट्रेचिंग को फ्लेक्सिबिलिटी बढ़ाने के लिए बेस्ट माना जाता था। लेकिन अब एक्सपर्ट कहते है कि बाउंसिंग अवॉयड करें जब तक कि आपको किसी डॉक्टर या फिजिकल थेरेपिस्ट द्वारा न बोला गया हो।
आप केवल मसल्स को केवल वहां तक ही स्ट्रेच करें जितने में आप कम्फ़र्टेबल है। आपको दर्द वाली स्तिथि में नही जाना है
बहुत ज्यादा भी न करें। ज्यादा से ज्यादा 90 सेकण्ड्स तक होल्ड करें। 30 सेकण्ड्स बेस्ट है।
ठंडी मसल्स को स्ट्रैच बिल्कुल न करें। वर्कआउट के 10 मिनट के अंदर आपकी मसल्स ठंडी होने लगती हैं

कूल डाउन का सही तरीका क्या है?

इसमे आप अपना वर्कआउट स्लो करते जाते है। जिससे कि आपकी HR भी धीरे धीरे कम होती जाती है। आप चाहे तो इसके लिए वर्कआउट के बाद एक km वाक भी कर सकते हैं और फिर स्टेटिक स्ट्रेचिंग कर लें।

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