What is running for me?

इस बार का ब्लॉग कुछ अलग हट कर है कोई ज्ञान की बात नही केवल दिल की बात। अभी रंग पंचमी के दिन मैं दशहरा मैदान गया था। वहाँ डॉ राजू केशवानी सर के बड़े भाई सीनियर केशवानी सर से मुलाकात हुई। बहुत छोटी मुलाकात और उसमें हुए संवाद के चिंतन पर ही है आज का ब्लॉग।
उक्त मुलाकात के बाद जब में घर आ रहा था तब उक्त बातचीत पर गहन चिंतन करा। चिंतन का केंद्र बिंदु था -रनिंग मेरे लिए क्या है? जो दिल ने कहा उन्हें शब्दों का अमलीजामा पहना रहा हूँ।

रनिंग मेरे लिए फिजिकली फिट रहने का एक माध्यम है। आज मैं bp, हार्ट की बीमारी, डायबिटीज आदि बीमारियों से रनिंग के कारण ही बचा हूँ। शायद सभी रनिंग इसलिए करते हैं। इसीलिए इस पर ज्यादा कुछ नही लिखूँगा।

रनिंग मेरे सेल्फ ऑडिट का समय है। रनिंग का समय ऐसा रहता है जब मैं खुद से बातचीत करता हूँ। मैंने अगर कुछ गलत किया है तो मेरे अंदर का “मैं” मुझे बतलाता है कि मैंने क्या गलत किया है। अगर कुछ अच्छा किया है तो वही ,”मैं” मुझे अहंकार करने से रोकता है। अगर किसी को कुछ मदद करनी है तो इस समय वही मेरे को न केवल याद दिलाता है अपितु मेरे पीछे भी पड़ता है। कहने का मतलब रनिंग का समय मेरे स्वमूल्यांकन का समय है।

रनिंग मेरे को नकारात्मक विचारों/भावों से दूर रखने का समय है। सामान्यतः रनर्स का सकारात्मक attitude ही रहता है। क्योंकि वह जब रन करता है तो वह यह मानकर चलता है कि यह रन तय समय मे पूरी हो ही जाएगी। इस कारण से रन करते समय हम सकारात्मक भावों में ही रहते है। यही बात धीरे धीरे हमारे दैनिक जीवन मे भी आ जाती है। हम जिंदगी की हर घटना में और हर व्यक्ति में अच्छाई देखने का प्रयास करते है। जब हम सकारात्मक स्तिथि में रहेंगे तो हम नेगेटिव इमोशन जैसे क्रोध, ईर्ष्या, द्वेष आदि से बचे रहेंगे और हमेशा खुश रहेंगे। इस प्रकार रनिंग मेरे को इमोशनली फिट बनाती है

रनिंग का समय मेरे मेडिटेशन का समय है। यही वह समय है जब मैं विचार शून्य हो जाता हूँ और उसी समय मैं परमपिता परमेश्वर से कुछ पल के लिए जुड़ जाता हूँ। शायद यह स्तिथि वह रहती है जब हम एक रदम में पानी के रेले जैसे बहते रहते है। कब हम चार पांच km दौड़ जाते है पता ही नही चलता है।शायद यही परम आनंद की अवस्था रहती है।

रनिंग मेरे को मेरे से जीतने का समय है। मैं यह बात मैं अच्छे से जानता हूँ कि मैं वर्ल्ड रिकॉर्ड नही बना सकता हूँ। मैं ये भी जानता हूँ कि हर एक रनर की क्षमता अलग अलग होती है और मेरा किसी से कॉम्पिटिशन नही है। पर मेरी मेरे से प्रतियोगिता है। क्या मेरा परफॉर्मेंस मेरे पिछले परफॉर्मेंस से बड़ा है कि कम हुआ है। अगर कम हुआ है तो मैं मै से हार गया अगर बड़ा है तो मैं जीत गया। यह सिद्धांत केवल रनिंग तक सीमित नही रहता यह जिंदगी के हर क्षेत्र मे लागू होता है और श्रेष्ठ करने के लिए प्रेरित करता है। शायद अध्यात्म की नजर से देखें तो यह आपको कर्मयोगी बनाता है।

रनिंग मेरे को धैर्य रखने का समय है। रनिंग करते करते यह सीखा है कि रिजल्ट तुरंत नही मिल जाता है उसके लिए लंबे समय तक कड़ी मेहनत के साथ साथ धीरज भी रखना पड़ता है। यह बात भी केवल रनिंग तक सीमित नही है। हमारे दैनिक जीवन मे भी कई बार हमको धीरज रखना पड़ता है। शायद इसीलिए अध्यात्म में “सबुरी” का महत्व है।

रनिंग मेरे लिए स्व-अनुशासन है । अगर मैं अनुशासित नही रहूँगा तो मेरा परफॉर्मेंस खराब होगा ही। रनिंग अच्छी रखने के लिए स्वानुशासन अत्यावश्यक है। रनिंग ही क्यो जिंदगी के हर क्षेत्र में सफलता के लिए सेल्फ डिसिप्लिन बहुत ज्यादा जरूरी है।
यहाँ मेरे को एक सत्य घटना याद आ रही है वह आपके साथ शेयर करता हूँ:-
एक लेखक ने जिंदगी में सफल होने के लिए 1000 qualities पर किताब लिखी। उससे उसके मित्र ने पूछा कि इन 1000 गुणों में से किस को आप नंबर वन पर रखोगे? तब उसने जबाब दिया कि एक गुण ऐसा है कि जब वह होगा तो ही बाकी के 999 काम करेंगे और अगर वो नही हुआ तो ये 999 भी काम नही करेंगी। और वह है – स्वानुशासन।

रनिंग मेरे लिए टाइम मैनेजमेंट है। समय प्रबंधन न केवल हमे रोज की प्रैक्टिस के लिए करना पड़ता है । अपितु रेस डे के दिन अपने निर्धारित टारगेट के लिए भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से करना पड़ता है। समय प्रबंधन रनिंग के अलावा हमारी दैनिक जीवन का एक बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा होना चाहिए। जिसने समय को साध लिया वो पीर नही तो फकीर।

रनिंग मेरे लिए कृतज्ञता (gratitude) का समय है । जब मैं रनिंग कर रहा होता हूँ तो उस समय जिन्होंने मेरी रनिंग अच्छी कराई है, जिन किताबो / वेबसाइट से मैंने रनिंग के बारे में कुछ सीखा है उन्हें याद कर धन्यवाद देता हूँ। अब यह गुण मेरे दैनिक जीवन का हिस्सा बन गया है। जिसने भी आपके लिए कुछ किया है आप उसके आभारी रहो। मेरे गुरु मेरे भगवान श्री सत्य साई बाबा कहते थे “Gratitude is father of all values.”
रनिंग मेरा सेल्फ-बिलीफ बढ़ाने में मददगार है। 51 साल के होने तक, जब 1km भी नही दौड़ पाता था, कभी सोचा नही था कि इतनी रनिंग कर लूँगा। जब 2 अक्टूबर 2013 को IIM की पहली 10km की रन पूरी करी तब पहली बार सेल्फ बिलीफ बड़ा, लगा कि हमारे अंदर कितनी झमता है। हम क्या नही कर सकते है। ये तो हमने अपने सामने स्व रचित बैरियर लगा रखे है, जिन्हें देख कर हम कहते है कि नही नही ये हम नही कर सकते है। रनिंग ने मेरे ये तथाकथित बैरियर तोड़ दिए है। मेरा सेल्फ बिलीफ और आत्मविश्वास दोनों बढ़ाया है।
इन सब बातों का सार यही है कि रनिंग मेरे लिए मात्र एक फिजिकल एक्टिविटी नही है अपितु वह फिजिकल के साथ साथ आध्यात्मिक कही ज्यादा है।

दोस्तों ये सब बातें दिल की गहराई से निकले विचार है। मैं बहुत अच्छी तरह से जानता हूँ कि जिस तरह से मुझे अच्छी रनिंग के लिए बहुत कुछ सीखना है उसी तरह से अच्छे इंसान बनने के लिए भी बहुत कुछ सीखना पड़ेगा।

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